Tuesday, June 30, 2020

प्रति बुधवार स्तम्भ 
दैनिक चैतन्य लोक में 
शब्द भाषा की देह में प्राण की तरह 
17/jun/2020


सुबह सबेरे में प्रति सोमवार कॉलम में लेख --
डिजिटल साक्षरता के लिए कितना तैयार हैं भारत 
29/जून/2020

प्रति बुधवार  कॉलम 'सृजन लोक' में लेख -
दैनिक चैतन्य लोक  
निराला और मुक्तिबोध  के संघर्ष में जीना आज के साहित्यकार का स्वभाव नहीं 
24/jun/2020


समीक्षा -
-उपन्यास जिन्हें जुर्म -ए -इश्क पे नाज था के कुछ अंश 


सुबह सबेरे प्रति सोमवार स्तम्भ में मेरा लेख ---
विश्वव्यापी साजिश को समझना होगा 

Tuesday, June 16, 2020

सुबह सबेरे में प्रति सोमवार कॉलम का लेख --लकीरें हैं जो मिटती नहीं
(भारतीय कृषक के सदर्भ में -१६ जून २०२०)


सुबह सबेरे में प्रति सोमवार कॉलम का लेख --व्यवस्था की कसौटी आम आदमी का जीवन 
(१ जून २०२० )


 विजय दर्पण टाइम्स में मेरे कॉलम (सुबह सबेरे )में प्रकाशित लेख का पुनः प्रकाशन 

समीक्षा -
 साहित्य की ऐतिहासिक पत्रिका वीणा के संयुक्तांक (अप्रैल -मई -2020 ) कृति -हिंदी की कालजयी लघुकथाओं पर मेरी समीक्षा 

ककसाड़ मार्च 2020 के अंक में मेरा पत्र --विषय: सम्पादकीय में शीर्षक आवश्यकता 


दैनिक स्वदेश में प्रति रविवार स्तंभ का लेख