Monday, August 21, 2023

प्रजातंत्र में मेरा लेख 20 /08/2023 
एक बार अपने दिमाग से किसी भी तरह  के वाम /दक्षिण /मार्क्स /लेनिन /माओ/प्रगतिशील / और वे तमाम वाद और धारा को निकाल कर महसूस करें  उस स्वतंत्रता को जो सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी है  | जिसमें तृप्ति तुम्हारा मौलिक अधिकार है | सरकारी दफ्तरों का जो कर सको विरोध, देर से या न पहुँचने वाली सेवा का तो तुम स्वतंत्र हो | पेंट बुशर्ट पहनकर कुर्सी पर बैठ जाने वाला पढ़ा लिखा बाबू भी 'अपने अंडर'  गुलामी करवाना जानता है कितनी सारी  छोटी –छोटी भीतरी गुलामियां अभी बाकी है | जिस प्रशासन की नजर से अब तुम्हारे बहुत से काम अप्रासंगिक हो चुके हैं उसकी गुलामी | अंग्रेजों के ज़माने से ही हर साक्षर आदमी हाकिम बनना चाहता है., लेकिन साक्षर होने क़े बाद हमें  अपनी जातीय गरिमा के अनुरूप काम मिलेगा  या योग्यता के अनुरूप यह तय करने का अधिकार आज भी हमारे पास नहीं है | काम मिलेगा भी या नहीं हम तो ये भी नहीं जानते क्योकि हमें  मुफ्त अनाज देकर पेट भर दिया जाता है जुबान स्वतः बंद हो जाती है | तमाम किस्म के विकास के लाभ तो पहले ही लूट की बलि चढ़ जाते हैं | भ्रष्टाचार की सहज  सुविधाएं उपलब्ध है | किसी की तरक्की में कोई बाबू या प्रशासनिक अधिकारी अपनी कुर्बानी नहीं देना चाहता |
 इधर ‘’उपभोक्ता बाजार की पहुँच का भयावह विस्तार जहाँ एक ओर 'बाजार' की पारंपरिक सीमाओं को तोड़कर हर तरह एक जैसा ''ब्रैंड साम्राज्य'' स्थापित करने पर उतारू है , तो दूसरी तरफ इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलॉजी के अविश्सनीय विस्तार ने विकास एवं संस्कृति के पुराने समीकरणों को असंगत बनाना शुरू कर दिया है |




 

दैनिक स्वदेश में प्रति रविवार स्तंभ का लेख