Sunday, October 13, 2019
06 अक्टूबर 2019 दैनिक सुबह सबेरे समाचार पत्र में --
मनुष्य भाषा में जीता है और साहित्य में संस्कारित होता है |यह देश का दुर्भाग्य है कि यहाँ अशुद्ध अंग्रेजी स्वीकार्य नहीं हैं किन्तु अशुद्ध हिंदी के लिए कोई आपत्ति नहीं करता| हिंदी के उपयोग के लिए अपनी आने वाली पीढ़ी को प्रेरित करना हम सभी का कर्तव्य है यदि हम भाषा की रक्षा कर सके और अपने साहित्य को सुरक्षित रख सके तो हमारी संस्कृति अपने आप ही सुरक्षित संरक्षित हो जाएगी | एक अघोषित राष्ट्र भाषा के रूप में विश्व की सबसे लोकप्रिय भाषा हिंदी के पास अपना समृद्ध शब्द कोष हैं फिर क्यों हम अभिव्यक्ति के लिए किसी विदेशी भाषा का सहारा लें ?|’’ ये विचार एमएसएमई विकास संस्थान, (Government of India Ministry of micro,small & Medium Enterprises ) इंदौर में हिंदी पखवाड़े के अंतर्गत पुरस्कार वितरण समारोह के अवसर पर प्रसिद्ध हिंदी लेखिका एवं हिंदी प्राध्यापक श्रीमती डॉ.शोभा जैन ने व्यक्त किये|
डॉ.जैन ने बताया कि हिंदी का उपयोग में भारत में हिचकिचाहट व्यक्त की जाती है जबकि हिंदी फिल्मों और साहित्य के माध्यम से हिंदी अनेकों देशों में सहजता से पहुंच बना रही हैं एवं इसके अध्ययन में रूचि ली जा रही हैं श्रीलंका,मलेशिया,मारीशस गुयाना,फिजी,सिंगापूर सूरीनाम आदि देशों में इसके बोलने समझने वालों की बड़ी संख्या हैं |भाषा के विवाद को अंग्रेजी बनाम हिंदी बना दिया जाता हैं जबकि देश की सभी क्षेत्रीय भाषाओँ को हिंदी के साथ खड़े होना चाहिए |हिंदी दिवस के स्थान पर राष्ट्रभाषा दिवस मनाया जाना चाहिए जिससे हिंदी को उसका गौरव प्राप्त हो सके एक राष्ट्र एक भाषा को सहजता से स्वीकार करना चाहिए इसका विरोध दुर्भाग्यपूर्ण है |
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए एमएसएमई विकास संस्थान के वरिष्ठ सहायक निदेशक श्री विजय गर्ग ने कहा कि हमारा संस्थान तकनीकी संस्थान हैं किन्तु अपनी स्कीमों के प्रचार प्रसार सेमीनार,कार्यशाला एवं प्रशिक्षण कार्यक्रमों में हिंदी का ही उपयोग किया जाता हैं |हिंदी के माध्यम से ही हम अपने अधिक से अधिक हिग्रहियों तक अपनी बात पहुंचा सकते हैं |उन्होंने बताया कि संस्थान में हिंदी पत्राचार इत्यादि कार्य भी स्वप्रेरणा से किया जाता हैं |
इस अवसर पर मुख्य अतिथि महोदया डॉ.जैन द्वारा हिंदी पखवाड़ा के अंतर्गत आयोजित वाक प्रतियोगिता,निबंध प्रतियोगिता एवं टिप्पण एवं हिंदी पत्र लेखन प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया |
कार्यक्रम में संस्थान के पूर्व हिंदी अधिकारी श्री अनिल वर्मा,फूलसिंह,नामित राजभाषा अधिकारी ने भी सम्बोधित किया |कार्यक्रम का संचालन श्री राजेश पराशर,आशुलिपिक ने एवं आभार प्रदर्शन श्री विपुल दे,सहायक निदेशक के द्वारा किया गया |
डॉ.जैन ने बताया कि हिंदी का उपयोग में भारत में हिचकिचाहट व्यक्त की जाती है जबकि हिंदी फिल्मों और साहित्य के माध्यम से हिंदी अनेकों देशों में सहजता से पहुंच बना रही हैं एवं इसके अध्ययन में रूचि ली जा रही हैं श्रीलंका,मलेशिया,मारीशस गुयाना,फिजी,सिंगापूर सूरीनाम आदि देशों में इसके बोलने समझने वालों की बड़ी संख्या हैं |भाषा के विवाद को अंग्रेजी बनाम हिंदी बना दिया जाता हैं जबकि देश की सभी क्षेत्रीय भाषाओँ को हिंदी के साथ खड़े होना चाहिए |हिंदी दिवस के स्थान पर राष्ट्रभाषा दिवस मनाया जाना चाहिए जिससे हिंदी को उसका गौरव प्राप्त हो सके एक राष्ट्र एक भाषा को सहजता से स्वीकार करना चाहिए इसका विरोध दुर्भाग्यपूर्ण है |
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए एमएसएमई विकास संस्थान के वरिष्ठ सहायक निदेशक श्री विजय गर्ग ने कहा कि हमारा संस्थान तकनीकी संस्थान हैं किन्तु अपनी स्कीमों के प्रचार प्रसार सेमीनार,कार्यशाला एवं प्रशिक्षण कार्यक्रमों में हिंदी का ही उपयोग किया जाता हैं |हिंदी के माध्यम से ही हम अपने अधिक से अधिक हिग्रहियों तक अपनी बात पहुंचा सकते हैं |उन्होंने बताया कि संस्थान में हिंदी पत्राचार इत्यादि कार्य भी स्वप्रेरणा से किया जाता हैं |
इस अवसर पर मुख्य अतिथि महोदया डॉ.जैन द्वारा हिंदी पखवाड़ा के अंतर्गत आयोजित वाक प्रतियोगिता,निबंध प्रतियोगिता एवं टिप्पण एवं हिंदी पत्र लेखन प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया |
कार्यक्रम में संस्थान के पूर्व हिंदी अधिकारी श्री अनिल वर्मा,फूलसिंह,नामित राजभाषा अधिकारी ने भी सम्बोधित किया |कार्यक्रम का संचालन श्री राजेश पराशर,आशुलिपिक ने एवं आभार प्रदर्शन श्री विपुल दे,सहायक निदेशक के द्वारा किया गया |
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