Thursday, April 7, 2022

समीक्षा 'समकाल के नेपथ्य में'-- प्रतिबद्ध लेखिका 'मुकम्मल' व्यक्तित्व आदरणीय चित्रा मुद्गल दीदी की बहुमूल्य टिप्पणी
 कृति पर निरंतर प्राप्त बहुमूल्य टिप्पणियां उसकी सार्थकता के महत्वपूर्ण क्षण है ...

एक प्रतिबद्ध लेखिका 'मुकम्मल' व्यक्तित्व आदरणीय चित्रा मुद्गल दीदी की बहुमूल्य टिप्पणी (शीर्षक पर पहले आशीर्वचन उन्हीं के मिले ---वर्तमान समकाल की अर्थवत्ता की चौखटें खोलता शीर्षक) --'समकाल के नेपथ्य में'

सम्माननीय मित्रों कल एक फोन कॉल ने जीवन के महत्वपूर्ण दिनों में अपनी उपस्थिति दर्ज की | एक प्रतिबद्ध लेखिका 'मुकम्मल' व्यक्तित्व आदरणीय चित्रा मुद्गल दीदी से कल अपनी पहली किताब पर चर्चा के साथ यह संदेश भी प्राप्त हुआ | फोन पर, गहरी आत्मीयता में डूबी पर्याप्त ठहराव लिए उनकी आवाज तमाम विराम चिन्हों को साधते हुए खुद -ब -खुद अपनी राह बना मुझ तक पहुंच रही थी और मैं स्तब्ध थी, फोन रखते हुए भी | किताब पर वार्ता का एक -एक शब्द कृति के भाग्य से जुड़ा | अपनी पहली किताब को उनका प्रतिसाद मिलेगा सोचा न था मेरा यह सौभाग्य कृति के हिस्से में आया | 'समकाल के नेपथ्य में' पर पत्र शैली में उनके कीमती शब्द (उनकी अस्वस्थता के बावजूद )किसी धरोहर के रूप में सहेजे 



 

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