Wednesday, February 14, 2024

 जबकि प्रेम को उपहास के कटघरे में खड़ा कर चुके हैं








हम प्रेम में फोटो वायरल करने के युग में हैं | चेहरे पर एसिड फेंकने वाले युग में हैं |
आखिर प्रेम हत्याओं में तब्दील कैसे हो जाता है ?जात छुपाकर प्रेम नहीं किया जाता | दिल नहीं जीता जा सकता किसी का | ब्लैकमेल नहीं किया जाता प्रेम पाने के लिए| धमकियों भरे एसिड से चेहरा नहीं बिगाड़ा जा सकता प्रेम में | इकतरफा 'प्रेम' भी कभी मुजरिम नहीं बनाता |
ब्रेक अप शब्द प्रेम के स्वभाव में जगह बना चुका है | वह निजता में बहुत जल्दी दाखिल होना चाहता है|
पर्दे हटते हैं और हम प्रक्रियाओं को घटते देखते हैं. प्रक्रियाएं जो वर्चस्व के संसार का प्रतिलोम हैं.|कभी -कभी प्रेम वर्चस्व पर आकर सिमट जाता है और वर्तमान का एक विचार घिसकर किसी औजार की तरह भविष्य में धारदार हो जाता |
आज हिन्दुस्तान मेल में प्रकाशित
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स्त्री-पुरुष के सहजीवन में प्रेम की भूमिका कितनी केंद्रीय हो सकती है | देह के समीकरण में जोड़ घटाव करते हुए प्रेम अब दिन और रात के शेड्यूल की तरह बदलता है | वह निजता में बहुत जल्दी दाखिल होना चाहता है बादलों की तरह एक उतावलापन हावी रहता है | कपूर की खुशबुओं सी महकती ऋतुएं आती हैं लौट जाती हैं लेकिन प्रेम की ऋतु जब आती है लौटती नहीं, ठहर जाती है उसका अपना एक संगीत है जो अंतरंग बजता है| हर आयु की अपनी एक अलग धुन किसी के लिए प्यानों में किसी के लिए गिटार वाली कोई रॉक स्टारवाली | हर वर्ष प्रेम दिवस मनाने वाली पीढ़ी प्रेम को उपहास के कटघरे में खड़ा कर चुकी है ब्रेक अप शब्द प्रेम के स्वभाव में जगह बना चुका है | आधुनिक प्रेमियों का प्रेम चैट के साथ शुरू होता है चैट डिलीट करके खत्म हो जाता है | एक प्रेम में भी कितने पहर होते हैं, हर पहर का एक अलग संवाद हर संवाद में कितने क्षण | दुनिया में बहुत खाली जगह है हम चुप रहकर भी उन्हें भर सकते हैं बशर्ते हम खुद भीतर से खाली हैं शायद तभी खाली होने के रीतेपन को समझ सकें | जाना वहां जहाँ से लौट पाना सम्भव न हो |लौटने पर बहुत कुछ छूट जाता है साथ दुख चलते हैं |
पर्दे हटते हैं और हम प्रक्रियाओं को घटते देखते हैं. प्रक्रियाएं जो वर्चस्व के संसार का प्रतिलोम हैं.|कभी -कभी प्रेम वर्चस्व पर आकर सिमट जाता है और वर्तमान का एक विचार घिसकर किसी औजार की तरह भविष्य में धारदार हो जाता | कितनी घटनाएं होती है प्रेम के चलते प्रेम अपने आप में एक घटना है |
हमें नहीं पता कौन सा आंसू किस दुख का अंततः प्रतीक्षा प्रेम का सबसे सुखद क्षण है | प्रेम में निर्मम हुआ जा सकता है सिर्फ अपने साथ |
पर्दे हटते हैं और हम प्रक्रियाओं को घटते देखते हैं. प्रक्रियाएं जो वर्चस्व के संसार का प्रतिलोम हैं.|कभी -कभी प्रेम वर्चस्व पर आकर सिमट जाता है और वर्तमान का एक विचार घिसकर किसी औजार की तरह भविष्य में धारदार हो जाता | कितनी घटनाएं होती है प्रेम के चलते प्रेम अपने आप में एक घटना है |
शुक्रिया कीर्ति राणा जी

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