समालोचन-- ''वे रचना या रचनाकार के साथ कोई मुलाहिज़ा नहीं पालते'
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यह पहला अवसर है जब ९५१ (951 )पृष्ठों के किसी कृतित्व केंद्रित विशेषांक (शोधपरक) का हिस्सा बनी |
अंक के कुल जमा ११ अध्याय में से अध्याय चार -- 'समालोचन' के अंतर्गत साहित्य, पत्रकारिता जगत के महत्वपूर्ण नामों (लीलाधर मंडलोई जी,प्रियदर्शन जी, विष्णु नागर जी,प्रकाशकांत जी ,आदि) जिन्हें मैं पढ़ती रहीं हूँ में अपना नाम देखना आश्चर्य से भर गया|
विशेषांक में मेरा समालोचकीय लेख १२ पृष्ठों का है जिसका शीर्षक है --- ''वे रचना या रचनाकार के साथ कोई मुलाहिज़ा नहीं पालते'
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सापेक्ष पत्रिका का अशोक वाजपेयी विशेषांक कल घर पर पहुंचा | सेतु प्रकाशन से प्रकाशित इस विशेषांक का संपादक :महावीर अग्रवाल जी ने किया है यह लेख लिखवाने का श्रेय भी उन्ही को जाता है | लगभग एक वर्ष पूर्व उन्होंने दिल्ली साहित्य अकादेमी की पत्रिका -समकालीन भारतीय साहित्य ' में मेरी विस्तृत समीक्षा पढ़ी थी | पत्रिका में दिये नंबर से मुझे फोन किया | उस समय इस विशेषांक की तैयारी चल रही थी | १२ पृ लिखने के लिए मैंने कुछ माह का समय मांगा जो मुझे मिला भी | अब प्रकाशितलेख आपके समक्ष है |
समग्र अंक पर विस्तार से लिखूंगी
फ़िलहाल इतना ही कि इसमें आप साहित्य की लगभग हर विधा से गुजर सकेंगे | अंक में धर्मवीरभारती ,भारत भूषण अग्रवाल , केदारनाथ सिंह नरेश मेहता ,कुंवर नारायण ,ज्ञानरंजन धूमिल के महत्वपूर्ण पत्र सम्मिलित हैं तो विष्णु खरे ,कृष्णा सोबती ,विनोद शाही आदि के साक्षात्कार भी |व्यक्तित्व केंद्रित शीर्षक से बुने अध्याय में ध्रुव शुक्ल ,प्रयाग शुक्ल,सुबोध सरकार , अयप्पा पणिक्कर आदि कई महत्वपूर्ण नाम हैं जिनकी अनुभवसम्पन्न दृष्टि से अंक बहुत समृद्ध हुआ |
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