Monday, January 17, 2022


समकाल के नेपथ्य में --हिंदी साहित्य की सुपरिचित लेखिका सत्य शर्मा कीर्ति  जी  की टिप्पणी ---

साहित्य जगत की सशक्त हस्ताक्षर प्रिय मित्र शोभा जी आज किसी परिचय की मोहताज नहीं है ।जहां एक तरफ वो अग्निधर्मा समाचार पत्र का कार्य सुचारू रूप से करती हैं वहीं गम्भीर आलेख और निबंध के लिए भी जानी जाती हैं।

किताबों की समीक्षा करनी हो या संपादन का कार्य। हर कार्य में उनकी निपुणता सहज ही दिखती है।

गंभीर गद्य लेखन के बावजूद उनके अंदर एक संवेदनशील स्त्री हमेशा ही सजग रहती है जिसकी छाप उनकी कविताओं में हम अक्सर ही देखते हैं।

तभी तो स्वस्तिकामनाएँ में आदरणीय डॉ. विकास दवे सर लिखते हैं.... " मुझे कई बार उनकी लेखनी से ईर्ष्या भी होती थी। " ( निदेशक , साहित्य अकादमी , भोपाल )

सच कहूं तो मैं कई बार अचंभित हो जाती हूँ उन्हें भी चौबीस घण्टे ही मिलते हैं या भगवान कुछ घण्टे उन्हें छुपा कर अलग से दे देते हैं ।

कोई व्यक्ति कैसे विभिन्न विषयों , विभिन्न विधाओं पर एक ही वक्त में इतना काम कर सकता है ।

इन सब बातों के अलावे जो एक सबसे अच्छी बात है , वह यह है कि शोभा जी एक बहुत ही नेकदिल , मृदुभाषी , प्यारी और अच्छी दोस्त हैं। उन्होंने मुझे ऐसे वक्त में थमा था जब मुझे सच में किसी एक मजबूत दोस्त की जरूरत थी।

तब हम सिर्फ फ्रेंड लिस्ट में थे शायद ही एक दूसरे की वॉल पर जाते थे किन्तु मुझे परेशान देख कर जिस तरह उन्होंने ने मेरा हाथ थामा और दूर बैठ कर भी गले लगा लिया था । वह मेरे लिए अविस्मरणीय है। मैं तो उन्हें ईश्वर द्वारा भेजा कोई दूत या पिछले जन्मों का कोई साथ ही मानती हूँ और दुआ करती हूँ हमारी दोस्ती को किसी की भी नजर न लगे।

किताब में लगभग  55 निबंध है जिसमें अपने समय का  शायद ही कोई विषय अछूता रहा हो|  ये निबंधों के  शीर्षकों से ज्ञात होता है साथ ही साथ आदरणीय प्रो बी.एलआच्छा सर की भूमिका से उसे विस्तार देता  है | ऐतिहासिक पत्रिका वीणा के सम्पादक श्री राकेश शर्मा  जी ने सही लिखा है उनके  लिए --''इस किताब में संकलित निबंध उनके भीतर चल रहे वैचारिकी युद्ध की गवाही देते हैं  किताब कई मायनों में महत्वपूर्ण है |'' शीघ्र ही पूरा पढ़कर लिखूंगी |

सुंदर अक्षरों वाली प्यारी दोस्त मैं जानती हूँ लेखक चाहे कितनी भी पत्रिकाओं में छप जाए पर असली खुशी तो अपनी किताब को छूने पर ही होती है ।आपको यह खुशी बहुत - बहुत मुबारक हो

आपको ढेरों 

बधाई 


ईश्वर से प्रार्थना है आप यूँ ही लिखती रहें और हम सभी पढ़ते रहें ।

सत्या

13/01/2022

 

No comments:

दैनिक स्वदेश में प्रति रविवार स्तंभ का लेख